तीर्थ स्थानों की यात्रा करने की परंपरा पुराने समय से चली आ रही है। आज भी काफी लोग समय-समय पर पवित्र तीर्थ स्थानों की यात्रा जरूर करते हैं। तीर्थ स्थान जैसे चार धाम की यात्रा, द्वादश ज्योतिर्लिंग की यात्रा, हरिद्वार, ऋषिकेश, मथुरा, काशी, बद्रीनाथ-केदारनाथ आदि धार्मिक स्थलों की यात्रा करने का विशेष महत्व है। तीर्थ यात्रा को धर्म और दान-पुण्य से जोड़कर देखा जाता है, लेकिन इन यात्राओं से धर्म के साथ ही कई अन्य लाभ भी मिलते हैं। उज्जैन के ज्योतिषाचार्य पं. मनीष शर्मा के अनुसार तीर्थ यात्रा से विचारों की पवित्रता बनी रहती है।

दैनिक जीवन में चल रही परेशानियों से कुछ समय के लिए मुक्ति पाने के लिए तीर्थ यात्रा करना सबसे अच्छा समाधान है। लगातार एक जैसी दिनचर्या की वजह से तनाव बढ़ता है और उत्साह कम होता है। ऐसे में जब हम तीर्थ यात्रा पर जाते हैं तो मन प्रसन्न होता है। नई ऊर्जा मिलती है। यात्रा से लौटकर हम पूरी उत्साह के साथ काम कर पाते हैं।

नकारात्मकता दूर होती है और सकारात्मकता बढ़ती है

सभी बड़े तीर्थ क्षेत्रों के मंदिरों का निर्माण वास्तु के अनुसार किया गया है। मंदिरों की बनावट ऐसी होती है, जहां सकारात्मक ऊर्जा का प्रवाह हमेशा बना रहता है। मंदिर में आने वाले भक्तों के नकारात्मक विचार नष्ट होते हैं और सोच सकारात्मक बनती है। मंदिरों और तीर्थों को ऊर्जा का केंद्र माना जाता है। इसी वजह से मंदिर या तीर्थ पर जाने से हमारे मन को शांति मिलती है। 

तीर्थ क्षेत्र का वातावरण स्वास्थ्य के लिए रहता है फायदेमंद

अधिकतर प्राचीन तीर्थ और मंदिर ऐसी जगहों पर बनाए गए हैं, जहां का प्राकृतिक वातावरण हमारे स्वास्थ्य के लिए लाभदायक रहता है। मंदिरों में सीढ़ियां होती हैं, इन सीढ़ियों पर चढ़ने-उतरने से व्यायाम होता है। भजन-कीर्तन में तालियों बजाने से एक्यूप्रेशर के लाभ मिलते हैं। घंटी आवाज नकारात्मकता को खत्म करती है। वहां का वातावरण हमें सुकून देता है।